Not known Details About bhairav kavach

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इदं कवचमज्ञात्वा काल (काली) यो भजते नरः ।



दुर्भिक्षे राजपीडायां ग्रामे वा वैरिमध्यके । यत्र यत्र भयं प्राप्तः सर्वत्र प्रपठेन्नरः ।।



ಧ್ಯಾಯೇನ್ನೀಲಾದ್ರಿಕಾಂತಂ ಶಶಿಶಕಲಧರಂ ಮುಂಡಮಾಲಂ ಮಹೇಶಂ

डाकिनी पुत्रकः पातु पुत्रान् मे सर्वतः प्रभुः।

बटुक भैरव कवच का व्याख्यान स्वयं महादेव ने किया है। जो इस बटुक भैरव कवच का अभ्यास करता है, वह सभी भौतिक सुखों को प्राप्त करता है।

सततं पठ्यते यत्र तत्र भैरव संस्थितिः।।



get more info वेदादिबीजमादाय भगमान् तदनन्तरम् ॥ १७॥

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पातु मां बटुको देवो भैरवः सर्वकर्मसु ॥ 

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